जी रे जागि रे, जुगराज रे तू- जी रे

तेजी से बदलते भारतीय समाज में अन्य भारतीय परम्पराओं के साथ- साथ संयुक्त परिवार का ताना-बाना भी टूटता जा रहा है। कैरियर और प्रतिस्पर्धा के पीछे भागते-भागते आज का युवावर्ग अपने माता-पिता के रूप में किस अमूल्य निधि का तिरस्कार करता है, उसे आभास नहीं हो पाता। बड़े शहरों में ऐसे कई बुजुर्गों की कहानी सुनने को मिलती है जिनकी सन्तानें उन्हें अकेले छोड़कर या वृद्धाश्रम में धकेलकर बेरोकटोक, स्वतन्त्र जीवन जीने का रास्ता चुनते हैं और अन्तत: ऐसे बुजुर्ग या तो अपने नौकरों के हाथों मारे जाते हैं या फिर घुट-घुट कर मौत का इन्तजार करते हैं।

mata-pita-ka-asheerwad उत्तराखण्ड के ऐसे ही एक दम्पत्ति की कहानी नरेन्द्र नेगी जी के एक गाने "कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु" में इससे पहले भी दर्शाई गयी है। आज ऐसे ही एक और गाने से आपका परिचय कराते हैं, जिससे माता-पिता के विशाल व दयालू हृदय का पता चलता है, जिन्दगी के अन्तिम पहर में अकेले रहकर स्वर्गवासी होने के बाद भी एक माता-पिता अपने बेटे के हित की सोचते हैं। नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने इस गाने के माध्यम से यही दर्शाने की कोशिश की है। इस वृद्ध दम्पति का पुत्र उन्हें गांव में छोड़कर अपने काम-धाम में इतना उलझ गया कि फिर लौटकर उनके पास आने का समय भी उसे नहीं मिल पाया। इसी बीच उसके माता-पिता की मृत्यु हो गयी, लेकिन फिर भी वे अपने उस बेटे को म्रुत्युपरान्त भी आशीर्वाद ही देते हैं और कहते हैं "बेटा तू जहाँ रहे खुश रहे, तुझे कभी हाथ-पैर में कांटा चुभने का कष्ट भी न सहना पड़े"। बेहद मार्मिक व द्रवित करने वाली प्रस्तुति है यह।

यह गाना नेगी जी के "वा जुन्याली रात, ऐगे फिरी याद" में टी-सीरीज की वीडियो कैसेट में आया है, महिला स्वर अनुराधा निराला जी का है।

भावार्थ :  बेटा तू जुग-जुग जिये, खाता – कमाता रहे और तुझे जिन्दगी में कभी हाथ-पैर में कांटा चुभने का कष्ट भी न उठाना पड़े। बेटे द्वारा भुला देने पर दुखी माँ कहती है – हाय जब मैं यह विचार करती हूँ कि तुझसे बिछड़े कितने दिन हो गये हैं तो फिर मुझे न नींद आ पाती है, ना ही भूख लगती है। पिता कहता है – हमारे दुख और कष्ट तुम्हारी कुशलता के समाचार मिलने पर खुशी में परिवर्तित हो जाते हैं।

Mata-pita-aur-unka-pyar तू तो बेटा हमें इन कांटों में छोड़कर भूल गया लेकिन तेरी बचपन की यादों के साथ हम इन्हें ही फूल समझ लेते हैं। अगर हमने तुमसे कुछ पाने की चाह की तो भला क्या बुरा किया, आखिर हर मनुष्य अपने उगाये पेड़-पौधों से भी फल पाने की चाह रखता है।

बेटा अगर तुझे बाप- दादाओं की यह जायदाद नहीं चाहिये तो कोई बात नहीं, इसे ऐसे ही रहने दो। हम तो भगवान से सिर्फ यही प्रार्थना करते हैं कि तुम जहाँ रहो सुखी रहो। हमारे दिन में बस इतने अरमान रह गये हैं कि अगर कभी तुम हमें अपने पास बुला लेते तो हम अपने नाती – पोतों से थोड़ा प्यार – दुलार कर लेते। पिता कहता है – बेटा यह समझ तो हमें भी है कि खाना-कमाना और सम्पन्न होना तुम्हारा हक है, हम तुझे इससे वंचित नहीं करना चाहते। लेकिन कभी तो आकर हमारी भी खोज-खबर ले ली होती तुमने।

माँ कह रही है-अब हम तुमसे भला क्या मांगें बेटा, जीवित रहने पर और अब मृत्यु के बाद भी हमारा यह आशीर्वाद तुम्हारे साथ रहेगा कि – बेटा तू जुग-जुग जिये, खाता – कमाता रहे और तुझे जिन्दगी में कभी हाथ-पैर में कांटा चुभने का कष्ट भी न उठाना पड़े।

गीत के बोल देवनागिरी में 

जी रे जागि रे, जुगराज रे तू – जी रे, जी रे जागि रे, जुगराज रे तू – जी रे
तेरा हात खुंटो बेटा काँडु न चुबो कबि, तेरा हात खुंटो बेटा काँडु न चुबो कबि
होन्दु खान्दू रे तू- जी रे
जी रे जागि रे, जुगराज रे तू – जी रे, तेरा हात खुंटो बेटा काँडु न चुबो कबि
होन्दु खान्दू रे तू- जी रे
जी रे जागि रे, जुगराज रे तू – जी रे

निंद नि औन्दि भूख नी लगदी, जब गणिदा तेरी बिदाई का बरस – बिदाई का बरस ..
तेरा दियां दुःख सुख ह्वै जन्दिन, जब सुण्दां तेरि राजि खुशि कैमां – राजि खुशि कैमां, जी रे
जी रे जागि रे, जुगराज रे तू – जी रे

हम खुंणि छोड़ि गै तू जै काँडोऊं, फूल ह्वैं जांदि तेरा बालपन समळि – बालपन समळि ..
हमनुं क्या बुरु करि, सबि त कदिन अपणि जमाईं डाळ्यूं कि आस- डाळ्यूं कि आस, जी रे
जी रे जागि रे, जुगराज रे तू – जी रे

बाब दादा कुड़ि- पुगंड़ि नि चेंदि त, फणफुक जख रोळि, सुखि सत्ति रैई- सुखि सत्ति रैई
बुलोंदी कबि त्वैमां ऐ जांदा हम बि, नाति- नत्येंणों कि भुकी पे लेंदा- भुकी पे लेंदा, जी रे
जी रे जागि रे, जुगराज रे तू – जी रे

खांण कमांणु हक छ जरुर तेरो भी, एत कबि खड़ाखड़ि देखि पूछि जांदि-देखि पूछि जांदि
हमुंन क्या मंगण छे यो बेटा त्वै मां, ज्युंदि मदी जौंदा आशीष छ त्वैकि-आशीष छ त्वैकि, जी रे ..
जी रे जागि रे, जुगराज रे तू – जी रे

तेरा हात खुंटो बेटा काँडु न चुबो कबि होन्दु खान्दू रे तू- जी रे
जी रे जागि रे, जुगराज रे तू – जी रे, जी रे, जी रे

गीत : [audio:ji-re-jagi-re-jugraj-re-tu-by-narendra-singh-negi.mp3]

इस गीत का चुनाव व हिन्दी अर्थ हमारे सदस्य और लेखक हेम पंत का है। इस गाने के बोल ऋषिकेश से हमारे साथी नवीन सकलानी जी ने भेजे हैं।

अपना उत्तराखंड में उत्तराखंड से संबंधित गीत केवल उत्तराखंड के संगीत को बढ़ावा देने के लिये हैं। यदि आपको यह पसंद आयें तो निवेदन है कि बाजार से इन्हे सीडी या कैसेट के रूप में खरीद कर उत्तराखंडी संगीत को बढ़ावा दें। हम यथा-संभव सीडी या कैसेट की जानकारी देने का प्रयास करते हैं। यदि आपको इससे संबंधित जानकारी हो तो क़ृपया टिप्पणी में बतायें।

Lyrics of the song “Jee Re Jaagi Re, Jugaraaj Re Too”

jee re jaagi re, jugaraaj re too – jee re, jee re jaagi re, jugaraaj re too – jee re
teraa haat khu.nTo beTaa kaa.NDu n chubo kabi, teraa haat khu.nTo beTaa kaa.NDu n chubo kabi
hondu khaandoo re too- jee re
jee re jaagi re, jugaraaj re too – jee re, teraa haat khu.nTo beTaa kaa.NDu n chubo kabi
hondu khaandoo re too- jee re
jee re jaagi re, jugaraaj re too – jee re

ni.nd ni aundi bhookh nee lagadee, jab gaNidaa teree bidaa_ee kaa baras – bidaa_ee kaa baras ..
teraa diyaa.n dukh sukh hvai jandin, jab suNdaa.n teri raaji khushi kaimaa.n – raaji khushi kaimaa.n, jee re
jee re jaagi re, jugaraaj re too – jee re

ham khu.nNi chhori gai too jai kaa.NDooo.n, phool hvai.n jaa.ndi teraa baalapan samli – baalapan samli ..
hamanu.n kyaa buru kari, sabi t kadin apaNi jamaa_ee.n Daal.hyoo.n ki aas- Daal.hyoo.n ki aas, jee re
jee re jaagi re, jugaraaj re too – jee re

baab daadaa kuri- pug.nri ni che.ndi t, phaNaphuk jakh roli, sukhi satti raiee- sukhi satti raiee
bulo.ndee kabi tvaimaa.n ai jaa.ndaa ham bi, naati- natye.nNo.n ki bhukee pe le.ndaa- bhukee pe le.ndaa, jee re
jee re jaagi re, jugaraaj re too – jee re

khaa.nN kamaa.nNu hak chh jarur tero bhee, et kabi kharakhari dekhi poochhi jaa.ndi-dekhi poochhi jaa.ndi
hamu.nn kyaa m.ngaN chhe yo beTaa tvai maa.n, jyu.ndi madee jau.ndaa aasheeSh chh tvaiki-aasheeSh chh tvaiki, jee re ..
jee re jaagi re, jugaraaj re too – jee re

teraa haat khu.nTo beTaa kaa.NDu n chubo kabi hondu khaandoo re too- jee re
jee re jaagi re, jugaraaj re too – jee re, jee re, jee re

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Album : Wa Junyali Rat, Aigey Teri Yad,  Audio-Video : T.Series

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10 Thoughts to “जी रे जागि रे, जुगराज रे तू- जी रे”

  1. मर्मस्पर्शी गीत, शब्द विहीन हूँ मैं।

  2. Nandan Syunary

    Bahut Bahut Mahaan hai mera Uttarakhand aur mere UK ke log………………..mai aabhari hui un gayko ka jo hamaari sanskriti ko banaye hue hai, fir ek baar sat sat naman

  3. भई लडके के माँ बाप की एक्टिंग तो काबीले तारिफ है मगर माँ बाप के लडके की एक्टिंग महज दिखावे भर है.

  4. surendar singh negi

    very very nice i like it

  5. mahesh bartwal

    waah kya kahna garhwaali geeto ka.

  6. C.P.KANDWAL

    Dated: 31.12.2010

    Sir,

    I thank you very from the core of my heart for mailing me the precious and knowledgeable informations. Sir as the new year is at the threshold of us and few moments are left for the departing year 2010. Therefore please accept my heartiest congratulation for NEW YEAR 2011. May this year be prosperous, peaceful and wealthy for all of you. I would be thankful to you for inspiring the new generation of uttrakhand to maintain the cultural and social tradition of Pahad. We all left our home town/lands in search of employment and since it was the compulsion of those who were totally dependent on the nokari to detach themselves from pahad. But today the situation is different. It is very unfortunate for all of us that the future generation don’t want to step up towards their home town. They don’t know the khet , Khaliyan and about the thandi thandi Hava and Pani of the dev Bhomi uttraknad. As the print and electronic media is playing an important role in the society. I therefore request you to frame something new so that those who hails from pahad must visit at lest once or twice or plan to settle permanently in the heaven inherited to them.

  7. BHUPENDRA SINGH SHAH

    MAI UTTRANKHANDI HU MERA UTTRAKHAND DEV BHUMI HAI

  8. Bharat Negi

    Respected Negiji's singing is always a sheer delight….its poetry..

  9. lalit joshi

    बढ़िया प्रयास हे,दाज्यू बढ़िया ही गाते हे ,इसमें कोई संदेह नहीं हे ….लेकिन हमें सबसे पहले समाज में {[(नशे बाजी)]} और खाली बेठे रहने के हिसाब को रोकने का प्रयास करना होगा …………..

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